सोमवार, 26 जनवरी 2009

आज फ़िर................

आज फ़िर किसी ने मेरा दिल दुख दिया ,
मेरे जज्बातों को ठहाकों में उड़ा दिया !!
चाहते है ,अपनों के आँसूओं को पोंछना ,
आज फ़िर अपनों ने ही रुला दिया !!
कहते है असफलता सफलता की पहली सीढ़ी है ,
ज़माने ने हमें इसी सीढ़ी पर गिरा दिया !!
गिर सकता हूँ, पर रुकूंगा नही ,
कुछ पल रुक भी जाऊं तो , पीछे हटूंगा नही !!
मेने अन्दर छिपे "मै" को फ़िर से जगा लिया ,
जीने को चाह ने ,जीना सिखा दिया !!
गिरना- उठना , उठना -गिरना होगा बार- बार ,
दुनिया होगी उसकी मुट्ठी में जो कभी न माने हार !!
जनता हूँ आंखों में जो सपने है पूरे होंगे ,तब भी ,
आज फ़िर उन आँखों को डबडबा लिया !!
निराशाओं के साथ -ही -साथ है , आशाऐ ,
असफलता ने मुझे शायर बना दिया !!------विभोर सोनी

शनिवार, 24 जनवरी 2009

मुझमे से "मैं " ...........

ये मैं हूँ , मुझसा कोई और नही,
दुनिया में इस मैं का कोई विकल्प नही !!
मन उदास होता है, दिल रोता है ,ऐसा मेरे साथ अक्सर होता है ,
तब दिल करता है , कुछ ऐसा हो गायब हो जाऊं ,कहीं छिप जाऊं,
मै सभी को देखूं , किसी को नज़र ना आऊँ ,
सदियों से चल रही चूहा दौड़ में सामिल हो जाऊं !!
जब भी मै कभी था असफल हुआ ,
बहुतेरों के वाणी-वाणों से था, आहात हुआ!!
भीड़ में सामिल होने की ,गायब होने की,
वही इच्छा फ़िर जाग उठी !!
कोशिश की भीड़ में सामिल हो गया ,
मुझमे से "मैं " कहीं खो गया !!
जैसी थी दुनिया मै वैसा हो गया ,
जिधर को चल हवा ,हवा के संग होगया !!
इश कवायद के पीछे थी प्रबल इच्छा सफल होने की ,
लो आज मैं सफल हो गया !!
पर उस मैं का क्या जो था कहीं पर खो गया ?
उम्मीद है जल्द उशे जगा लूँगा , जो मेरे भीतर ही था कहीं सो गया !!------विभोर सोनी