बुधवार, 22 जून 2011

वो ..........मेरी तन्हाई !!

मै उसे चाहता हूँ,

उसके साथ होता हूँ,

तो वक्त का पता ही नहीं चलता,

हर पल खुशगवार होता है,

वो रोकती नहीं है, मुझे किसी से मिलने से,

न ही टोकती है, किसी से बात करने पर,

जहाँ मेरे साथ कोई नहीं आता,

बो ....आती है,

जब सब मुझे अकेला छोड़ जाते है,

चुपचाप कहीं से आकर मेरा हाथ थाम लेती है,

कभी एहसान नहीं जताया उसने,

न ही बनाया कोई बहाना,

जब उलझ जाता हूँ दुनिया के फेर में,

भूल जाता हूँ खुद को भी,

वो मुझे याद रहती है,

बिठा कर पास दिखाती है रास्ता,

कुछ ऐसा ही है,मेरा उससे वास्ता,

मै अक्सर उसे कोसता भी हूँ ,

कभी कभी उसके सामने भी ,

पर कभी नाराज़ न हुई वो मुझसे ,

जब मै जिन्दगी से नाराज़ होता हूँ ,

वो मुझे दुलारती  है,

बहुत शर्मीली है वो ,

भीड़ में असहज महसूस करती है,

भीड़ में भी जब मै अकेला होता हूँ ,

वो आती है, वो.......... मेरी तन्हाई !!

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