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शुक्रवार, 27 जून 2008

"मिल गया तो माटी, खो गया तो सोना है "

जिन्दगी पाना और खोना है ,

कुछ पाकर खोना है , कुछ खो कर रोना है .

है ,ये आदमी की फितरत अपनों के दुखों में शामिल होना,

जो मिला नही उसके लिए रोना ,और जो मिला उसे खोना है .

प्यार है वो ,जो मिल गया तो माटी खो गया तो सोना है ,

माटी के न मिलने पैर क्या रोना ,सोने के खोने पर खुस होना है .

अपने ग़मों को समेट कर अकेले में रोना,

गर कोई पूछे तो अपने दुखों का रोना ख़ुद रोना है .

सब कुछ छूट जाएगा ,सिर्फ यादों को साथ होना है ,

आज हमें अपने ह्रदय को स्नेह रस से भिगोना है .

अपनी खुसी में गैरों को शामिल करना ,

गैरों के गम में भी शामिल होना है .

जो कल बीत चुका उसके लिए क्या रोना ,

आने वाले कल में फ़िर कुछ नया होना है .

जीवन डोर में आशाओं के मोटी पिरोना है .

न बीते बीते हुए कल को याद कर रोना ,

न आने वाले कल को सोचकर चिंतित होना है ,

हमे तो बस आज में जीना ,और आज में ही होना है .

एक दिन सभी हमें ,और हम सभी को छोड़ जायेंगे ,

म्रत्यु शैय्या पर अकेले ही सोना है ,

तो फ़िर किस बात का रोना है .

बाकी रही आज की बात , है नही ये राज की बात ,

जो लिख दिया उस खुदा ने बन्दे की तकदीर में , वही होना है ,वही होना है . -------विभोर सोनी