जिन्दगी पाना और खोना है ,
कुछ पाकर खोना है , कुछ खो कर रोना है .
है ,ये आदमी की फितरत अपनों के दुखों में शामिल होना,
जो मिला नही उसके लिए रोना ,और जो मिला उसे खोना है .
प्यार है वो ,जो मिल गया तो माटी खो गया तो सोना है ,
माटी के न मिलने पैर क्या रोना ,सोने के खोने पर खुस होना है .
अपने ग़मों को समेट कर अकेले में रोना,
गर कोई पूछे तो अपने दुखों का रोना ख़ुद रोना है .
सब कुछ छूट जाएगा ,सिर्फ यादों को साथ होना है ,
आज हमें अपने ह्रदय को स्नेह रस से भिगोना है .
अपनी खुसी में गैरों को शामिल करना ,
गैरों के गम में भी शामिल होना है .
जो कल बीत चुका उसके लिए क्या रोना ,
आने वाले कल में फ़िर कुछ नया होना है .
जीवन डोर में आशाओं के मोटी पिरोना है .
न बीते बीते हुए कल को याद कर रोना ,
न आने वाले कल को सोचकर चिंतित होना है ,
हमे तो बस आज में जीना ,और आज में ही होना है .
एक दिन सभी हमें ,और हम सभी को छोड़ जायेंगे ,
म्रत्यु शैय्या पर अकेले ही सोना है ,
तो फ़िर किस बात का रोना है .
बाकी रही आज की बात , है नही ये राज की बात ,
जो लिख दिया उस खुदा ने बन्दे की तकदीर में , वही होना है ,वही होना है . -------विभोर सोनी